राजस्थानी सिनेमा मेरा पहला प्यार

शिवराज गूजर
राजस्थानी सिनेमा को कई निर्माता-निर्देशकों ने अपनी औलाद की तरह पाला पोसा है। कई तरह की परेशानियों के बावजूद वे नहीं टूटे और आज भी उसे जिंदा रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि अड़सठ साल में 110 या 111 फिल्मों का आंकड़ा कोई उत्साहजनक नहीं है, लेकिन यह क्या कम है कि इतनी फिल्में तो राजस्थानी में बनी। ऐसे ही लोगों के दम से आज राजस्थानी सिनेमा अपनी पहचान कायम रख पाया है। इन्हीं लोगों में से एक हैं-संदीप वैष्णव।
फ्लाइट इंजीनियर संदीप वैष्णव ने अब तक नौ राजस्थानी फिल्में बनाई हैं और दसवीं फिल्म निर्माणाधीन हैं। अगर आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सबसे ज्यादा राजस्थानी फिल्में इन्होंने ही बनाई हैं। पाली जिले की मारवाड़ जक्शन तहसील के धनला गांव के इस युवा ने थारी म्हारी फिल्म से राजस्थानी फिल्मों में कदम रखा। इसके बाद इन्होंने कभी मुड़कर पीछे नहीं देखा। कई तरह की परेशानियां भी आईं, मगर ये डिगे नहीं। इनके इसी साहस ने इन्हें वन फिल्म वंडर बनने से बचाया। इन दिनों ये अपनी आने वाली फिल्म बाई सुगना चाली सासरे के निर्माण में व्यस्त हैं। इसकी सारी तैयारियां हो चुकी हैं। इन दिनों ये मुंबई में है। बहुत जल्द ये राजस्थान में शूटिंग करने के लिए आने वाले हैं।
23 साल के अपने फिल्मी सफर में संदीप वैष्णव ने बासु चटर्जी और एन चंद्रा जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ चीफ एग्जीक्यूटीव प्राड्यूसर के रूप में काम किया है। आज भी ये हिंदी फिल्मों में सक्रिय हैं, लेकिन इनका पहला प्यार राजस्थानी फिल्में ही हैं।

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