बालिका शिक्षा और विधवा विवाह को प्रोत्साहन देने जैसे सामाजिक विषयों पर बनी राजस्थानी फिल्म ‘‘ब्याव रो झोलमाल’’ जल्द ही होगी रिलीज
जयपुर। राजस्थान में बालिकाओं की शिक्षा और विधवा विवाह को प्रोत्साहन देने जैसे सामाजिक विषयों पर बनी राजस्थानी फिल्म ‘‘ब्याव रो झोलमाल’’ जल्द ही राज्य के सिनेमाघरों में रिलीज होगी। डायरेक्टर लक्ष्मीकांत पारीक की ‘‘ब्याव रो झोलमाल’’ राजस्थान में निर्मित प्रादेशिक भाषा की फिल्म है, जिसमें मंनोरंजन के साथ-साथ निम्न सामाजिक मुद्दों को मजबुती से प्रस्तुत किया गया है। मंगलवार को जयपुर में आयोजित समारोह में फिल्म के डायरेक्टर लक्ष्मीकान्त पारीक, एसोसिएट डायरेक्टर राज मिर्जा एवं फिल्म की स्टार कास्ट ने फिल्म प्रमोशन किया।
फिल्म निर्माण के सबसे जरूरी तत्व मनोरंजन का पूर्ण रूप से ख्याल रखते हुए फिल्म ‘‘ब्याव रो झोलमाल’’ को तकनीकी एवं कला की दृष्टि से भी बेहतरीन बनाने का प्रयास निर्माता कृष्णा तिवाड़ी ने किया है। पूर्णतः पारिवारिक एवं स्वस्थ मनोरंजन की इस फिल्म के लेखन, निर्देशन, स्टोरीप्ले और डायलॉग्स की जिम्मेदारी लक्ष्मीकान्त पारीक ने संभाली है। फिल्म में अभिनेत्री ममता माथुर, विजय लक्ष्मी, कृष्णा तिवाड़ी आदि के साथ ही जे.पी. चोपड़ा, अशोक व्यास, कुसुम गुप्ता, पवन श्योराण, प्रियंक शर्मा, एंजिल शर्मा, दीपक सिंह, शंकर पारीक, रोशन आरा, राजकुमार राजपाल, हिमांशु पारीक और साक्षी तंवर आदि कलाकारों ने अभिनय किया है। फिल्म के एसोसिएट डायरेक्टर राज मिर्जा तथा एसिस्टेन्ट डायरेक्टर श्रद्धा तिवारी हैं। इण्डिया एंटरटेनमेन्ट म्यूजिक बैण्ड के संगीत निर्देशन में गीतों को गायक साहिल ने स्वर दिए हैं। फोकलोर प्रोडक्शन्स प्रा. लि. के पोस्ट प्रोडक्शन में बनी इस फिल्म की एडिटिंग राहुल शर्मा ने की है। बैकग्राउण्ड स्कोर तनु जेटली (मुम्बई) का है तथा डबिंग इंजीनियर विष्णु जांगिड़ हैं। फिल्म के दृश्यों को सिनेमेटोग्राफर विकास सक्सेना ने बड़ी ही खूबसूरती से कैमरे में कैद किया है। फिल्म की अधिकांश शूटिंग जयपुर शहर एवं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में की गई है।
फिल्म ‘‘ब्याव रो झोलमाल’’ के लेखक-निर्देशक लक्ष्मीकान्त पारीक ने बताया कि फिल्म रिलीज के लिए तैयार है एवं इसे केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की ओर से यू सर्टिफिकेट प्रदान किया गया है। बालिका शिक्षा एवं महिला सशक्तिकरण को प्रमुखता से दर्शाती इस फिल्म की कहानी दो बहनों के जीवन पर आधारित है, जिसमें बड़ी बहिन दुर्भाग्यवश विधवा हो जाती है एवं दोनो बहिनें परिवार के साथ मिलकर विधवा विवाह के लिये संघर्ष करती है एवं समाज के सामने इस मुद्दे को बहुत ही मजबूती के साथ रखती है। सामाजिक जीवन में लड़कियों और महिलाओं से छेड़छाड का विरोध दर्शाती यह फिल्म दर्शकों को संदेश भी देती है कि वे परिवार में लड़के-लड़की में भेदभाव न करें तथा उन्हें शिक्षा और प्रगति के समान अवसर प्रदान करें ताकि समय आने पर महिलाएं भी सामाजिक विकास में अपना योगदान दे सकें।
1 Comment
Devendra kumar meena
(September 30, 2016 - 1:07 pm)kB ho rhi h realise