पंजाब के होशियारपुर में जन्मी उपासना सिंह ने अपना फिल्मी कैरिअर राजस्थानी फिल्म बाई चाली सासरिए से शुरू किया। यह फिल्म बहुत बड़ी व्यावसायिक हिट साबित हुई और वे राजस्थानी सिनेमा की चोटी की अभिनेत्रियों में शुमार हो गईं। क्षेत्रीय फिल्मों से निकलकर उन्होंने बॉलीवुड में दस्तक दी और वहां भी सफलता ने उनका आगे बढ़कर स्वागत किया। हालांकि अब वे पूरी तरह से बॉलीवुड में रम चुकी हैं लेकिन राजस्थान के लिए उनका प्यार आज भी बरकरार है। वे दिल से मानती हैं कि उन्हें पहचान दिलाने में राजस्थानी फिल्मों की बहुत बड़ी भूमिका रही है।
शिवराज गूजर
सात साल की उम्र से ही करने लगी थी अभिनय
उपासना सिंह ने सात साल की उम्र में ही अभिनय शुरू कर दिया था। तब वे जलंधर दूरदर्शन में बाल कलाकार के रूप में काम करती थीं। उम्र के साथ अभिनय भी जवां होने लगा। स्कूल और कॉलेज के स्टेज पर विभिन्न चरित्रों को जीने के साथ ही छह साल तक कत्थक की भी विधिवत शिक्षा ली। अभिनय का यह सफर उपासना को पूना ले गया जहां तीन महीने तक भीतर के कलाकार को टैनिंग के जरिए तराशा।
पहली ही फिल्म ने रच दिया इतिहास
पूना से मुंबई लौटने के बाद बमुश्किल 7 या 8 ही दिन बीते होंगे कि मोहनसिंह राठौड़ ने उन्हें अपनी राजस्थानी फिल्म बाई चाली सासरिए के लिए साइन कर लिया। नीलू जैसी जानी-मानी अभिनेत्री होने के बावजूद यह फिल्म पूरी तरह से उपासना सिंह पर केंद्रित थी। उपासना सिंह ने भी उस चरित्र को कुछ यूं आत्मसात किया कि उस पर होने वाले अत्याचार देखकर दर्शक भी सिनेमा हॉल में सुबकियां लेते देखे गए। फिल्म रिलीज हुई और कामयाबी का इतिहास रच दिया। राजस्थानी सिनेमा में व्यावयायिक रूप से यह सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। इस तरह पहली ही फिल्म से उपासना सिंह राजस्थानी फिल्मों की चोटी की अभिनेत्रियों में गिनी जाने लगी। बाई चाली सासरिए के अलावा देव, सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र और जियो म्हारा लाल भी उनकी चर्चित राजस्थानी फिल्में रहीं।
प्रियंका के नाम से की थी बाई चाली सासरिए
उपासना सिंह ने पहली फिल्म बाई चाली सासरिए अपने ऑरिजनल नाम से नहीं करके प्रियंका के नाम से की थी। इसके पीछे वजह यह थी कि उन दिनों उपासना खोसला जाना-पहचाना नाम था, इससे नाम को लेकर भ्रम पैदा होने डर था। ऐसे में निर्देशक के कहने पर उन्होंने अपना नाम बदलकर प्रियंका कर लिया। इस नाम को वे ज्यादा नहीं ढो सकीं और पहली फिल्म के बाद ही उन्होंने वापस अपना पुराना वाला नाम ही अपना लिया। वे बताती हैं कि जैसे ही उनकी मां को यह पता चला कि उपासना ने नाम बदल लिया है, काफी गुस्सा हुई। उन्हें यह नाम बेहद प्यारा था। मां का गुस्सा जीत गया और प्रियंका वापस उपासना सिंह बन गई।
‘रामवती से बॉलीवुड में एंट्री
उपासना सिंह की पहली हिंदी फिल्म रामवती थी। यह डाकुओं के जीवन पर आधारित फिल्म थी। इस फिल्म से बॉलीवुड में उनकी एंट्री हुई। उन दिनों डकैतों पर काफी फिल्में बन रही थीं। ऐसे में उन्होंने कई डकैतों से जुड़ी फिल्में कीं। इसी दौरान अनिल कपूर के साथ फिल्म लोफर मिली। इसमें उनका कॉमेडी रोल था, जो काफी पसंद किया गया। इसके बाद से कॉमेडी फिल्मों का सफर शुरू हुआ जो आज तक जारी है। माई फ्रेंड गणेशा की गंगू ताई तो बच्चों में खासी लोकप्रिय हुई।
छोटे परदे पर भी सक्रिय
बड़े परदे के साथ-साथ उपासना सिंह छोटे परदे पर भी लगातार सक्रिय हैं। दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर प्रसारित धारावाहिक लेडी इंस्पेक्टर की भूमिका में इन्हें काफी लोकप्रियता मिली। इसके अलावा उन्होंने दिल भी हिंदुस्तानी सहित कई धाराहिकों में अभिनय किया जो विभिन्न चैनलों पर प्रसारित हुए।