महाराणा प्रताप सभागार में हुआ नाटक चौबीस घंटे का मंचन, सतोष निर्मल के लिखे नाटक का शिवराज गूजर ने किया निर्देशन
आप सोच रहे होंगे कि भई सिकंदर चौहान ने ऐसा क्या कर दिया कि अनिल सैनी उन्हें चौबीस घंटे भी नहीं झेल पाया। आपकी यह दुविधा हम दूर किए देते हैं। अरे भई यह रियल की नहीं एक्टिंग लाइफ की बात है। दोनों कलाकारों ने शिवाजी फिल्म्स के महाराणा प्रताप सभागार में मंचित किए गए नाटक चौबीस घंटे में बाप-बेटे का रोल किया है। यह वाकया उसी नाटक का है। वरिष्ठ पत्रकार संतोष निर्मल के लिखे इस नाटक का निर्देशन शिवराज गूजर ने किया है।
नाटक में बताया गया है कि आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में किस तरह रिश्ते पीछे छूटते जा रहे हैं। किस तरह अपनों के लिए ही अपनों के पास वक्त नहीं है। किस तरह फ्लेटों में सिकुड़ती लाइफ के साथ-साथ लोगों के दिल भी सिकुड़ते जा रहे हैं। यहां तक कि जिन मां-बाप ने रात दिन एक करके पाल पोस कर खुद के पैरों पर खड़ा किया उनके लिए भी संतान के पास वक्त नहीं है। वह भी उन्हें बोझ लगने लगे हैं। ज्यादा की तो छोडिय़े चौबीस घंटे भी मां-बाप को नहीं झेल पाती संतान। इस कथानक को अपने अभिनय से जीवंत किया सिकंदर चौहान, अनिल सैनी, ज्योति शर्मा, सुनिता बर्मन, अनुराग गूजर और राजेश अग्रवाल ने।
बाप के दर्द को सिकंदर चौहान ने बड़ी शिद्दत से जीया। बेटे द्वारा उसेक्षा के बावजूद पोते को जब वे अपने माता-पिता की सेवा करने की सीख देते हैं तो दर्शकों की आंखें नम कर देते हैं। डबल शैड वाले रोल में अनिल सैनी जमे हैं। जब वे कपूत के रूप में स्टेज पर आते हैं तो वाकई में गुस्सा आता है, वहीं पश्चाताप करते हैं तो रुला देते हैं। निष्ठुर बहू के रूप में ज्योति शर्मा ने भी छाप छोड़ी। वे वाकई सास-ससुर के आने से परेशान हुई बहू ही लगीं। मां के रूप में सुनिता बर्मन ने सिकंदर का पूरा साथ दिया। इमोशनल सीन्स में उन्होंने जान डाल दी। बाल कलाकार अनुराग गूजर ने अपने अभिनय से लोगों का ध्यान खींचा। पहला नाटक होने के बावजूद उनके अभिनय में कहीं झिझक नहीं दिखी। राजेश अग्रवाल दोस्त के रूप में प्रभावित करते हैं।
2 Comments
Santosh nirmal
(October 11, 2016 - 9:15 am)Natak ki bahut hi sunder
Santosh nirmal
(October 11, 2016 - 9:19 am)Natak ki bahut hi sunder samichja