राजस्थानी सिनेमा के पर्दे पर छा जाने के लिए एक और हीरोइन बेताब है। नाम है ललिता मीणा। निर्देशक प्रभुदयाल मीणा की जल्द ही रिलीज होने वाली राजस्थानी फिल्म रुकमा राजस्थानी से यह अभिनेत्री डेब्यू करेंगी। लंबी पारी खेलने के इरादे से अभिनय के क्षेत्र में उतरी ललिता मीणा ने हाल ही शिवराज गूजर से राजस्थानी सिनेमा डॉट कॉम के लिए शेयर किए फिल्म और शूटिंग से जुडे अनुभव।
यह फिल्म आपको कैसे मिली?
निर्देशक प्रभुदयाल मीणा मुझे पहले से जानते थे। वो मेरा काम भी देख चुके थे। मैंने उनकी एक शॉर्ट फिल्म बुढापे की लाठी में भी काम किया था। ऐसे में जब उन्होंने फिल्म शुरू करने की सोची तो मुझे बुलाया। रुकमा के हिसाब से लुक टेस्ट लिया। उसमें जब उन्हें लगा कि मैं रोल में फिट बैठूंगी तो मुझे कास्ट कर लिया।
क्या रोल है इस फिल्म में आपका?
मैं इस फिल्म में टाइटल रोल कर रही हूं-रुकमा राजस्थानी का। यह एक ऐसी औरत है जो बेकसूर होने के बावजूद सारा गांव उसके खिलाफ हो जाता है। उसका पति जो उसके साथ सात फेरे लेकर उसे अपने घर लाया था, लोगों की बातों में आकर उसे एक अनजान जगह छोड़ आता है। इस बुरे वक्त का वह किस तरह मुकाबला करती है और किस तरह अपने आपको साबित करती है, यही इस फिल्म में दिखाया गया है।
कितनी अलग है इस फिल्म की रुकमा से ललिता मीणा?
ललिता एक दम अलग है रुकमा से। दूर-दूर तक समानता नहीं। कहां मैं शहर की लड़की और कहां रुकमा एक गांव की छोरी। सोरी! छोरी नहीं, लुगाई। साथ ही मां भी। माहौल के साथ ही हम दोनों में उम्र का भी बहुत बड़ा गेप है।
क्या स्पेशल तैयारी की इस रोल के लिए?
पहले तो मैंने कुछ फिल्में देखीं जो फिल्म के निर्देशक ने सजेस्ट की थीं। इसके बाद मैंने ग्रामीण महिलाओं को समझना शुरू किया। वो कैसे चलती हैं। कैसे उठती-बैठती हैं। कैसे बात करती हैं। रूकमा मां भी है, ऐसे में मैंने मां की फीलिंग्स भी समझी। सच कहूं तो यह रोल काफी टफ थो मेरे लिए। मुझे काफी तैयारी करनी पड़ी। इसमें मेरे निर्देशक ने मेरी काफी मदद की।
अपने को स्टार के बारे में क्या कहेंगे?
अमित बहुत ही अच्छा एक्टर है। उसने मुझे काफी सपोर्ट किया। उसकी सबसे अच्छी बात यह है कि वह कलाकार तो बेहतरीन है ही इंसान भी बहुत अच्छा है। किसी भी सीन में जान तभी आती है जब सामने वाला कलाकार सपोर्टिव भी हो और जानदार भी। अमित दोनों जगह खरा था। सच कहूं तो पूरी फिल्म की यूनिट बहुत अच्छी थी। एक दम कॉपरेटिव।
कोई ऐसा पल जो शूटिंग के बाद भी याद रहा हो। गुदगुदाता रहा हो?
हां जी, है ना। कई, पर एक ऐसा है जो याद आता है तो हंसी आपने आप फूट पड़ती है। एक सीन में फौजी बने मुकेश को मुझे कंधे पर लेकर टीले पर जाना था। जब यह सीन हो रहा था उस वक्त तेज धूप थी। तीन रीटेक हो चुके थे, पर डाइरेक्टर सर संतुष्ट नहीं थे। एक और रीटेक हुआ। डाइरेक्टर सर ने फिर बोला एक बार और। यह सुनते ही मुकेश ने मुझे कंधे पर से नीचे रेत पर पटक दिया। एक दम उखड़कर बोले-सर मैं यह फिल्म नहीं कर पाऊंगा। इतनी हिम्मत नहीं बची है अब मुझमें। यह सुनते ही सब एक सन्न रह गए। तभी एक जोरदार ठहाका गूंजा। यह डाइरेक्टर सर थे। तब समझ में आया कि सीन तो कब का हो चुका था, वो तो हमारी खिंचाई चल रही थी।
कौन- कौन से प्रोजक्ट पाइप लाइन में हैं?
फिलहाल कुछ खास नहीं है। एक-दो प्रोजक्ट पर बात चल भी रही है, पर कुछ फाइनल नहीं हुआ है। अभी मैं रुकमा राजस्थानी के रिलीज होने का इंतजार कर रही हूं।
कोई ड्रीम रोल?
जैसा बर्फी में प्रियंका चौपड़ा ने किया। तनु वेड्स मनु में कंगना रनौत और जब वी मेट में करीना कपूर के जैसा रोल करना चाहती हूं। ये ऐसे किरदार हैं जो सीधे मन में उतर जाते हैं। मैं भी अपने किरदारों के जरिए दर्शकों के दिल में उतरना चाहती हूं।
कोई हीरो जिसके साथ काम करना आपका ड्रीम हो?
सबसे ऊपर नाम है बिग बी का। इनके अलावा फरहान अख्तर, रितिक रोशन, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मनोज वाजपेयी, नसीरुद्दीन शाह, श्रेयस तलपड़े के साथ किसी फिल्म में काम करना चाहती हूं। देखिए मेरा यह ड्रीम कब पूरा होता है।
राजस्थानी सिनेमा को आगे बढ़ाने के लिए आपके हिसाब से क्या किया जाना चाहिए?
जहां तक मैं समझती हूं निर्माताओं को फिल्म बनाने के लिए अच्छी कहानियों का चुनाव करना चाहिए। इसके बाद अच्छे कलाकारों का चयन फिल्म के प्रति उत्सुकता जगा देता है। इस सबके साथ सरकार का सपोर्ट मिले तो सोने पर सुहागा है।
2 Comments
Sita ram meena
(July 20, 2016 - 12:55 pm)Mujhe film writer assocition ki member ship chahiye
all raddy koi is ka memder hai to meri halp kare
PradeepUmmat
(November 29, 2016 - 7:25 pm)अब राजस्थानी फ़िल्म भी बोलीवूड जैसी चलेगी