जयपुर। राजस्थानी सिनेमा की इन दिनों हालत खराब चल रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल जुलाई के अंत तक 7 महीने में मात्र तीन राजस्थानी फिल्में रिलीज हुई हैं। मतलब दो महीने में एक फिल्म का भी एवरेज नहीं। इसके उलट पिछले साल स्थिति थोड़ी ठीक थी। मई तक ही छह फिल्में रिलीज हो गई थीं।
इस साल जनवरी और फरवरी दोनों राजस्थानी फिल्मों की रिलीज के हिसाब से सूखे रहे। एक भी फिल्म रिलीज नहीं हुई। 9 मार्च को इस साल की पहली फिल्म चाल म्हारी ढोलकी ढमाक ढम सुजानगढ़ में रिलीज हुई। इसके बाद 20 जुलाई को माटी हेलो पाड़े रे सूरत में और 27 जुलाई
को मोसर सोजत में रिलीज हुई।
2017 में इस साल से अच्छी थी स्थिति
पिछले साल जनवरी में कोई फिल्म रिलीज नहीं हुई। फरवरी से श्रीगणेश हुआ। दूसरे सप्ताह में 10 फरवरी को दो फिल्में एक साथ रिलीज हुर्इं, नरसी भक्त नानी बाई रो मायरो और पक्की हीरोगिरी। मार्च के अंत में 31 तारीख को तावड़ो का प्रदर्शन हुआ। अप्रैल में दो फिल्में सिनेमाघरों में पहुंची। लाडली 7 अप्रैल को और मां 21 अप्रैल को सिनेमाघरों में पहुंची। मई में भी एक फिल्म लाडेसर 12 तारीख को प्रदर्शित हुई। जून व जुलाई रीते गए।