राजस्थानी फिल्मों का जिक्र आते ही एक नाम सामने आता है, वह नाम है नीलू का। राजस्थान का बच्चा – बच्चा नीलू को जानता है। आज भी गांवों में नीलू के नाम से भीड़ उमड़ पड़ती है। नीलू ने राजस्थानी फिल्मों में एक से एक किरदार निभाए हैं। एक ओर जहां भावपूर्ण दृश्यों में उनका जवाब नहीं है, वहीं दूसरी ओर वह कामेडी और एक्शन दृश्यों में भी किसी से कम नहीं पड़तीं। भोमली, रमकूड़ी- झमकूड़ी इसके उदाहरण हैं। नीलू की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक बनी १११ फिल्मों में से पैंतालिस में नीलू हैं। यह नीलू की काम के प्रति लगन ही है कि निर्माता- निर्देशक उन्हें ही लेना पसंद करते हैं। नीलू सिर्फ अभिनय तक ही सीमित नहीम रहीं, बल्कि फिल्म निर्माण में भी वह आगे आईं। अपने पति अरविंद के साथ उन्होंने कई फिल्मों का निर्माण किया। राजस्थानी फिल्मों के प्रति उनकी लगन व सक्रियता देखते ही बनती है। राजस्थान की श्रीदेवी कहलाए जाने के बावजूद भी उन्होंने कभी स्टार जैसे नखरे नहीं दिखाए। यह कहना गलत नहीं होगा कि राजस्थानी फिल्मों के हीरो तो बदलते रहे, लेकिन हीरोइन ज्यादातर नीलू ही रहीं। अस्सी- नब्बे के दशक में नीलू की फिल्मों के प्रदर्शन पर जिस तरह भीड़ उमड़ती थी, उसकी आज सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। मैंने खुद जयपुर में नीलू की फिल्मों के टिकट ब्लैक होते देखे हैं। नीलू की फिल्में उस समय की हिंदी फिल्मों से टक्कर लेती थीं। फिल्म प्रमोशन के मामले में भी नीलू का जवाब नहीं रहता था। जो काम आदकल हिंदी फिल्मों के हीरो- हीरोइन कर रहे हैं, नीलू आज से 20- 25 साल पहले यह कर चुकी हैं। यही कारण है कि नीलू अभी तक दर्शकों के दिलों में बसी हुई हैं। एक- दो हिंदी फिल्मों में भी नीलू दिखाई दी थीं, लेखिन महत्वपूर्ण भूमिकाएं न होने के कारण उन्होंने हिंदी फिल्मों का मोह छोड़ दिया। फिल्मों के साथ-साथ नीलू छोटे परदे पर भी सक्रिय रहीं। जयपुर दूरदर्शन पर कुछ धारावाहिकों में उन्होंने अभिनय भी किया और कुछ कार्यक्रमों की एंकरिंग भी की। इनमें राजस्थानी फिल्मी गीतों पर आधारित लहरियो मुख्य है।