दौड़ पड़ा राजस्थानी सिनेमा, 8 फिल्में चल रही हैं सिनेमाघरों में

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मां, लाडली, नानी बाई को मायरो, तांडव, सांवलिया सेठ जयपुर में, पक्की हीरोगिरी ब्यावर, भोज बगड़ावत भारत बाड़मेर और तावड़ो श्रीगंगानगर में
जयपुर। राजस्थानी सिनेमा के लिए आज 21 अप्रेल का दिन यादगार रहेगा। रहे भी क्यों नहीं। सालों से गुमनामी के धुंधलके में बसर कर रही इस इंडस्ट्री के आंगन में दिए नहीं सितारे झिलमिला रहे हैं। एशिया की शान राजमंदिर में पहली बार एक राजस्थानी फिल्म चार शो में रिलीज हो रही है। यही नहीं, एक ही सप्ताह में 8 राजस्थानी फिल्में सिनेमाघरों में धूम मचा रही हैं वो भी दूसरे, तीसरे और चौथे वीक में। रिकॉर्ड यह भी पहली बार ही है गुरु।

अब कह सकते हैं कि राजस्थानी सिनेमा के अच्छे दिन आ गए। निगेटिव सोच वाले लोग कह सकते हैं, देखते हैं अच्छे दिन कब तक रहते हैं। तो भाई वो जान लें कि अच्छा तो एक ही दिन सौ बुरे दिनों पर भारी पड़ता है।

यह जो माहौल इस महीने बना है, मार्च के अंतिम दिन से, बड़ा अच्छा बना है। 31 मार्च को तावड़ो रिलीज हुई। नानी बाई को मायरो और पक्की हीरोगिरी भी साथ में सिनेमाघरों में उतरी। अप्रेल के पहले वीक में लाडली प्रदर्शित हुई, नानी बाई को मायरो और पक्की हीरोगिरी दूसरे वीक में घुस गई साथ देने। 14 अप्रेल को बड़े स्तर पर उपहार योजना के साथ तांडव और सांवलिया सेठ की एंट्री हुई थिएटरों में। पहले से चल रही लाडली सहित तीनों फिल्में आ गईं संग। इस तरह इस वीक में पांच फिल्में एक साथ चल पड़ीं।

हमसफर हो तो रास्ता अच्छा कटता है, यह बात इन दिनों राजस्थानी सिनेमा पर पूरी तरह से लागू हो रही है। पिछले वीक में चल रही फिल्मों का साथ मिल रहा है तो नई रिलीज होने वाली फिल्म भी अगले वीक में दौड़कर जा रही है। अप्रेल का तीसरा वीक शुरू हो गया है आज से। रीत वही चली आ रही है। एक नई फिल्म रिलीज हो रही है मां और साथ दे रही हैं सात फिल्में। लाडली, नानी बाई को मायरो, पक्की हीरोगिरी, तांडव, सांवलिया सेठ, भोज बगड़ावत भारत और तावड़ो। अब गाड़ी तो चल पड़ी है, दुआ कीजिए रफ्तार बनी रहे।

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