56 साल बाद हल्दीघाटी फिर हुई रक्तरंजित

खमनौर में हुई राजस्थानी बाहुबली फिल्म के युद्व के दृष्यों की शूटिंग

खमनौर में हुई राजस्थानी बाहुबली फिल्म के युद्व के दृष्यों की शूटिंग

56 साल बाद हल्दीघाटी फिर हुई रक्तरंजित

तीतरी प्रोडक्षन बैनर तले निर्माणाधीन राजस्थानी फिल्म बाहुबली के युद्व के दृष्यों का फिल्मांकन हाथी, घोडो व सैकडो सैनिकों के साथ हल्दीघाटी एवं उसके आस.पास के क्षेत्र में किया गया। इस दौरान 56 साल बाद एक बार फिर ऐतिहासिक हल्दीघाटी का युद्व जीवन्त हो उठा।

भील राणा पूंजा के नेतृत्व में आदिवासी लडाको ने छापामार युद्व पद्वति से तीरों की बरसात कर मानसिंह के नेतृत्व में आई मुगल सेना के छक्के छुडा दिये। दोनो तरफ के योद्वाओं के खून से हल्दीघाटी रक्तरंजित हो गई।

56 साल बाद हल्दीघाटी फिर हुई रक्तरंजित

प्रताप संग्रालय के संस्थापक मोहन लाल श्रीमाली ने बताया कि जय चित्तौड फिल्म की शूटिंग के करीब 56 साल बाद राजस्थानी बाहुबली की शूटिंग इन घाटियों में हुई है। सालो बाद युद्व की जीवन्त शूटिंग को लेकर लोगों में भारी कोतूहल था। शूटिंग के दौरान लोगों की भीड को नियत्रित करने में काफी मषक्त करनी पडी। इस दौरान स्थानीय लोगों का सहयोग सराहनीय रहा।

फिल्म के निर्देशक विपिन तिवारी ने बताया कि यह फिल्म आदिवासी संस्कृति और राणा प्रताप के सिपाहसलार राणा पूंजा के शौर्य पर आधारित हैं। युद्व के साथ ही झालामान और चेतक की मौत के दृष्य भी फिल्माये जा रहे हैं।

निर्माता अजय तिवारी ने बताया कि संग्राहलय में टाईटल सॉग मेवाडी बाहुबली का फिल्मांकन किया जा रहा है। अभिनेता श्रवण सागर राणा प्रताप और गोविन्द सिंह षेखावत पूंजा के भूमिका निभा रहे है। फिल्म के मुख्य किरदार पहाडों को काटकर झरना बनाने वाले मंगल भील का किरदार अमिताभ कर रहे हैं।

56 साल बाद हल्दीघाटी फिर हुई रक्तरंजित

सह निर्माता मदन नागदा ने बताया कि फिल्म का अगला शेड्यूल ओगना में होगा। जहां रामकुण्डा के बहते झरनो व प्राकृतिक दृष्यों का फिल्मांकन किया जायेगा। सहायक निर्देशक केण्के सनाढ्य, अनिल सैनी, शिवराज गुर्जर, देवराज कुमावत, महेष राजस्थानी है। शूटिंग में करीब 100 से अधिक आदिवासियों ने भूमिका निभा रहे हैं।

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