फिल्म समीक्षा : समाज को प्रेरित करती लाडली

rajasthani movie ladali poster

डायरेक्शन, कहानी, पठकथा, गीत- विपिन तिवारी
निर्माता- अजय तिवारी
संगीत- निजाम खान
फिल्मांकन-अभय आनन्द
सिंगर- रवीन्द्र उपाध्याय, रूचि खण्डेलवाल, दिलबर हुसैन व धनराज साहू
स्टार कास्ट- नवोदित कलाकार-अमिताभ और पारूल शर्मा
अन्य प्रमुख कलाकार-बाॅलीबुड अभिनेता मुस्ताक खान, दीपक मीणा और संगीता चैधरी, शिवराज गुर्जर, कोमल ठक्कर, साजिदा खान व भोला गुर्जर

कहानी

पढी-लिखी बेटी शिक्षा की रोशनी से दो परिवारों में उजियारा कर देती है। इस थीम पर बनी लाडली फिल्म की नायिका

अशोक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
अशोक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

लक्ष्मी लाड-प्यार में पढे-पले नायक किषन के प्रेम अनुरोध को इसलिए ठुकरा देती है कि उसकी अपनी कोई पहचान नहीं है। वह कहती है कि वह तो डाॅक्टर बनना चाहती है, फिर वह ऐसे युवा से कैसे शादी कर सकती है जो अपनी मां पर पूरी तरह से निर्भर है। उसका मानना है कि जिस व्यक्ति की पहचान उसके माता-पिता से हो, वह अपने जीवन में सफल नहीं हो सकता। नायक को यह बात अखर जाती है और वह अपनी पहचान के लिए पढने बाहर आ जाता है। आधी-अधूरी पढाई उसके मार्ग में रोडा बन जाती है। जिस तरह से नायक अपना भविष्य बनाने के लिए तत्पर नजर आता है उससे लक्ष्मी प्रभावित होती है लेकिन किशन पर जाहिर नहीं करती। बाहरी पढाई में नायक को पिछडता देखकर वह उसकी इस तरह से मदद करती है कि पढाई पूरी होने तक नायक को इसकी जानकारी नहीं मिल पाती है। इस तरह एक बेटी ने न केवल अपनी पढाई पूरी की बल्कि अपने चाहने वाले को योग्य तो बना दिया। तभी दोनों प्रेमियों के मिलने में समाज कई बाधाएं खड़ी कर देता है। फिल्म का अन्त रोचक व भावनात्मक है जो अन्त तक संस्पेंस बनाए रखता है। राज्य की यह पहली फिल्म है जो पूर्वी राजस्थान की बोली में पेश की गई है, जिसे सभी तरह के दर्शकों के लिए समझना आसान है। अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, हिण्डौन सिटी, गंगापुर सिटी, दौसा, कोटा व जयपुर के दर्शकों को फिल्म पसंद आ सकती है।

एक्टिंग-

फिल्म में सभी कलाकारों ने उम्दा एक्टिंग की है। नवोदित कलाकार अभिताभ व पारूल ने पहली फिल्म में अपनी एक्टिंग से प्रभावित किया है। नायिका के पिता बने दीपक मीणा व नायक की मां बनी संगीता चौधरी और मामा शिवराज गुर्जर ने भी अपना रोल बखूबी निभाया है। शराबी के किरदार में भोला गुर्जर की एवार्ड विनिंग परफॉरमेंश है।

निर्देशन

पहले ही तीन राजस्थानी फिल्म बना चुके निर्देशक विपिन तिवारी ने एक बार फिर पारिवारिक फिल्म बनाने का सफल प्रयोग किया है। उन्होंने पटकथा को अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है। वे बेटियों को शिक्षित करने के संदेश को पूरी तरह से दर्शकों तक पहुंचाने में सफल रहे हैं।

क्यों देखे

महिला केन्द्रित इस फिल्म में एक बेटी के साहस व शिक्षा के प्रति लगाव व मां के लाड-प्यार से अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाने वाले युवक की मनोदशा को रोचक अंदाज में फिल्माया गया है, जिससे फिल्म देखने लायक बन गई है। फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष मधुर संगीत व गीत है। फिल्म पूरी तरह से पारिवारिक है और कई बार भावुक बना देती है।

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