कला एवं संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला ने अपने निवास पर किया मजार-ए-लैला मजनू के पोस्टर का विमोचन
जयपुर। निर्माता निर्देशक राहुल सूद फीचर फिल्में तो बनाते ही हैं, साथ में डॉक्यूमेंट्री व शॉर्ट फिल्म्स का भी निर्माण करते रहते हैं। इस बार उन्होंने एक हटकर सब्जेक्ट चुना है। उन्होंने श्रीगंगानगर की अनूपगढ़ तहसील के बिंजोर में स्थित गॉड आॅफ लव लैला-मजनू की मजार पर शॉर्ट फिल्म बनाई है-मजार-ए-लैला मजनू।
राज्य के कला एवं संस्कृति मंत्री बीडी कल्ला ने इसके पोस्टर का विमोचन 14 फरवरी को अपने निवास पर किया। राहुल सूद ने बताया कि दो प्रेमियों के आत्मिक प्रेम की कहानी होने के कारण उन्होंने इसके पोस्टर के विमोचन के लिए वेलेंटाइन डे को चुना।
फिल्म के बारे में उन्होंने बताया कि इसमें वो सब तो है ही जो लोग लैला मजनू के बारे में जानते हैं, लेकिन उसके अलावा ऐसा बहुत कुछ है जो उन्हें पहली बार देखने को मिलेगा। मुंबई में सालों अभिनय के क्षेत्र में काम करके जब वे जयपुर लौटे और अपना प्रोडक्शन हाउस खोला तो एक ही मकसद के साथ कि वे हटकर सब्जेक्ट पर काम करने का प्रयास करेंगे। इसी कड़ी में उन्होंने लैला-मजनूं की मजार का सब्जेक्ट उठाया।
यह श्रीगंगानगर की अनूपगढ़ तहसील के बिंजोर में स्थित है। इस फिल्म को बनाने में उनके बचपन में पिताजी की श्रीगंगानगर में पोस्टिंग के दौरान वहां गुजारे दिनों की यादें काफी काम आर्इं।
वे बताते हैं कि इस फिल्म के लिए उन्होंने काफी रिसर्च किया। इसे बनाने में उन्हें करीब साढ़े तीन साल लग गए। इस दौरान उन्होंने सातवीं शताब्दी, जब कि लैला-मजनूं का पहला वर्णन मिलता है तब से लेकर अब तक का जितना भी साहित्य, डॉक्यूमेंटरी और फिल्में उपलब्ध हो सकी पढ़ी।
इसके बाद कई इतिहासकारों से मिले। उनसे इस मजार के बारे में जानकारी एकत्र की, जो कि उन्हीं की जबानन फिल्म में भी बताई गई है। मजार पर आने वाले लोगों से, आसपास रहने वाले लोगों से और वहां सेवा करने वाले सेवादारों से जानकारी जुटाई।
पूरी जानकारी होने के बाद वे अपनी पूरी टीम के साथ बिंजोर पहुंचे। वहां लगातार पांच दिन शूटिंग की। इसके अलावा चंडीगढ़ और अजमेर जाकर भी शूट किया।
सूद ने बताया कि फिल्म बनकर तैयार है। जल्द ही वे इसे रिलीज करेंगे। इसके अलावा वे इसे देशभर में होने वाले फिल्म पेस्टिवल्स में भी भेजेंगे। उन्होंने बताया कि यह फिल्म एक तरह से लैला मजनूं का विकि पीडिया है।