भुणा जी का जन्म कब हुआ था – भुणा जी कौन थे – भुणा जी बगड़ावत

भुणा जी का जन्म कब हुआ था – भुणा जी कौन थे – भुणा जी बगड़ावत

भुणा जी का जन्म कब हुआ था - भुणा जी कौन थे - भुणा जी बगड़ावत

Bhuna ji – भुणा जी का जन्म कब हुआ था – भुणा जी कौन थे – भुणा जी बगड़ावत
जैसे ही आप अपने आप को गुर्जर बताते हैं। सामने वाला यही कहता है बगड़ावत? अब ये बगड़ावत कौन थे? गुर्जरों के साथ इनका नाम क्यों जुड़ा हुआ है? यह बगड़ावत भारत क्या था और क्यों हुआ था। किस बात पर हुआ था। इन सब पर बाद में चर्चा करेंगे आज चर्चा बगड़ावतों के एक खास किरदार पर। बगड़ावत भारत में 24 भाई तो मुख्य किरदार थे ही, लेकिन उनके साथ के और आसपास के बहुत सारे ऐसे किरदार थे जो अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण थे। भुणा जी भी उनमें से एक थे।

भुणा जी कौन थे

भुणा जी भगवान देवनारायण के बड़े भाई थे। ये देवनारायण के चाचा और बगड़ावतों में पांचवें नंबर के भाई महारावत जी के बेटे थे। इनकी माता का नाम सलूमण जी था। सलूमण जी माता साढू के चाचा की लड़की थी। इस रिश्ते से वह साढू माता की बहन हुई। इस तरह साढू माता भुणा जी की बड़ी मां होने के साथ ही उनकी मासी भी लगती थी। भुणाजी को लक्ष्मणजी का अवतार माना गया है।

क्या भुणा जी ने बगड़ावत भारत लड़ा था?

नहीं। भुणा जी ने बगड़ावत भारत नहीं लड़ा था, क्योंकि वो उस समय बहुत छोटे थे। जब बगड़ावत भारत वाला युद्ध हुआ था, उस समय भुणा जी मात्र छह महीने के थे। युद्ध के बाद राण का राजा इन्हें अपने साथ ले गया था। बाद में जब भगवान देवनारायण इन्हें लेकर आए थे।

भुणा जी को खांडेराव क्यों कहते हैं?

जब बगड़ावत भारत के बीच राणी जयमति ने बगड़ावतों से उनके शीश मांगकर उनके मुंडों की माला पहन ली, युद्ध खत्म हो गया उस वक्त राण का राजा बगड़ावतों का सामान अपने साथ ले जा रहा था। उस वक्त उसने बच्चों को भी मरवा दिया। भुणा जी अकेले ऐसे थे जो उनसे नहीं मरे। उन्हें शिला पर पटका गया। ऐसा कहते हैं कि भुणा जी को मारने के लिए इतनी जोर-जोर से शिलाओं पर पटका गया कि बनरावली (प्रकृति) भी रो उठी थी, लेकिन उन्हें कुछ नहीं हुआ। इसके बाद भुणा जी को हाथी से कुचलने के लिए डाला गया, लेकिन हाथी ने उन्हें मारने के बजाय सूंड से अपने ऊपर बैठा लिया। इसके बाद राण के राजा ने उन्हें साथ ले जाने का विचार बनाया। इस दौरान राणा के दो सालों सातमल और पातल ने उन्हें खंडित करने की बात कही। इसके बाद सातल ने भुणा जी की चटी (सबसे छोटी अंगुली) काटी और पातल ने उनकी जांघ में चीरा लगाया। यहां पर उनकी अंगुली कटने के कारण उन्हें खांडल कुंवर कहा गया जो कालांतर में खांडेराव हो गया।

महाराष्ट्र-गुजरात में किस नाम से पूजे जाते हैं भुणा जी

भुणाजी महाराज की महाराष्ट्र और गुजरात में बहुत ज्यादा मान्यता है। यहां इन्हें लोक देवता खांडोबा के नाम से पूजा जाता है। लोगों में इनके प्रति जबरदस्त आस्था है। भुणा जी महाराज का पुष्कर में भी देवरा है। यहां भी इनकी पूजा की जाती है और गुर्जर समाज के लोग इन्के दर्शन करने आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *